WELCOME

WELCOME TO DIGITAL PORTFOLIO OF SUKESH VERMA, LIBRARIAN, KV 'K-AREA' ZIRAKPUR, CHANDIGARH REGION'गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात् परमब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः'/ 'गुरु कुम्हार शिष्य कुम्भ है, गढ़ि गढ़ि काढ़े खोट, अंतर हाथ सहारा दे, बाहर मारे चोट॥'

My Favourite Book

 MY FAVOURITE BOOK

Vivekanand Ki Atmakatha 1 Edition  (Hindi, Hardcover)

विवेकानंद की आत्मकथा


                        लेखक: शंकर



                        प्रकाशक: प्रभात                                     पृष्ठ: 503                                                                                                                                                            









 

स्वामी विवेकानंद नवजागरण के पुरोधा थे। उनका चमत्कृत कर देनेवाला व्यक्‍तित्व, उनकी वाक‍्‍शैली और उनके ज्ञान ने भारतीय अध्यात्म एवं मानव-दर्शन को नए आयाम दिए।
मोक्ष की आकांक्षा से गृह-त्याग करनेवाले विवेकानंद ने व्यक्‍तिगत इच्छाओं को तिलांजलि देकर दीन-दुःखी और दरिद्र-नारायण की सेवा का व्रत ले लिया। उन्होंने पाखंड और आडंबरों का खंडन कर धर्म की सर्वमान्य व्याख्या प्रस्तुत की। इतना ही नहीं, दीन-हीन और गुलाम भारत को विश्‍वगुरु के सिंहासन पर विराजमान किया।
ऐसे प्रखर तेजस्वी, आध्यात्मिक शिखर पुरुष की जीवन-गाथा उनकी अपनी जुबानी प्रस्तुत की है प्रसिद्ध बँगला लेखक श्री शंकर ने। अद‍्भुत प्रवाह और संयोजन के कारण यह आत्मकथा पठनीय तो है ही, प्रेरक और अनुकरणीय भी है।

No comments:

Post a Comment